मलीहा मुसाफ़िर
एपिसोड -१
जीवन काल के सीमित चक्र में मानव बाल्यकाल से लेकर अपने अंतिम क्षणों तक कुछ न कुछ सीखता ही रहता है,और खुद को हर तरह की परिस्थितियों के लिए पहले सेे ही तैयार रखना चाहता है।ताकि अगर विपरीत परिस्थितियाँ उतपन्न हो जाएं,तो उनसे निपटने का मार्ग सरल हो जायेगा।
कुछ ऐसे ही जीवन प्रसंगों और जीवन यात्रा के अनूठे दृश्यों को समेटे हुए यह एपिसोड आपको जीवन के विभिन्न स्तरों में एक अलग सा अनुभव प्रदान करने की कोशिश मात्र है।
~मुसाफ़िर का उदय~
असल मायने में अगर जीवन पथ में मानव की शुरुआत तभी ही मानी जा सकती है,जब पहली बार उसने अपनी आंखें खोली हों।और इस सृष्टि को पहली बार निहारा हो,मानव के ऐसा करलेने मात्र से ही जीवन पथ में मुसाफ़िर का दर्जा प्राप्त कर लेता है।
~मुसाफ़िर के उदय में गुरुओं का योगदान~
★प्रथम गुरु-माँ
जीवन के शुरुआती क्षणों से लेकर युवावस्था तक मानव जो भी सफलतम आदर्शों के साथ सीखता है,उसका श्रेय मां को ही जाता है।बाल्य मस्तिष्क चीजों को तीव्र गति से ग्रहण करने और सीखने की ललक के कारण तेज गति से जीवन पथ पर अग्रसर होने के लिए योग्य प्रतीत होता है।
★दूसरे गुरु- प्रकृति और वातावरण
प्रकृति को देखकर मानव मस्तिष्क प्राकृतिक परिवर्तनों ,मौसम एवम ब्रह्मांडीय तत्वों और गतिविधियों को समझने योग्य हो जाता है।और प्रकृति के सभी परिवर्तनों को रोचकता पूर्ण तरीके से सिख पाता है। प्रथम दृष्टि में प्रकृति बाल्य मन में ऐसे दृश्य अंकित कर देती है,जिसे मानव जीवन पर्यंत तक भूल नहीं पाता है।
वातावरण और माहौल का भी बहुत गहरा असर पड़ता है,जो जीवन पथ पर अग्रसर होने हेतु मजबूत और कमजोर दोनों बना सकते हैं।अगर मानव की परवरिश अच्छे माहौल और सही वातावरण में हुई हो तो वो अच्छी और सकारात्मक दिशा की ओर अग्रसर होगा।और वहीं खराब माहौल और वातावरण में पले -बढ़े बच्चे जिद्दी,गन्दी हरकतों और नकारात्मक दिशा का चुनाव कर बैठते हैं और गंदे काम में लिप्त रहते हैं।
"बचपन की अच्छी और सही सिख मानव मन को किसी सुरक्षा कवक्ष की भांति सुरक्षित रखती है।"
★तीसरे गुरु-पिता,शिक्षक और मित्र
पिता से अक्सर बच्चे उनकी हुबहु आदतों को सिख बैठते हैं।अतः अगर पिता अपने जीवन पथ की स्थिति का ज्ञान रखता हो,तो जीवन पथ पर चलने के लिए नए मुसाफिरों का निर्माण कर सकते हैं।
बच्चों को बौद्धिक ,आध्यात्म ज्ञान और शारीरिक खेल जरूर का अभ्यास जरूर करवाना चाहिए।ताकि बालक की मानसिक ,बौद्धिक और शारीरिक क्षमता का भरपूर विकास हो सके ।ऐसा करने पर बच्चों की इक्षाशक्ति प्रबल बनी रहती है।एक अच्छा पिता सदैव सही मार्ग का चुनाव करता है,चाहे उस पर चलना कठिन ही क्यों न हो ।अक्सर कुछ पिता अपने बच्चों को अपनी कुछ खास कलाबाजियां या आत्म रक्षा के पैंतरे भी सीखा देते हैं।
जिसमें बच्चे छिपकर लोगों को लड़ते देखते हैं या फिल्मों में देखकर उसी तर्ज पर लड़ने की कोशिश करते हैं,लेकिन ये सभी पैंतरे बिना सफलतम शिक्षक के बेमायने होते हैं।
शिक्षक सदैव अपने जीवन काल की संचित ज्ञान पूंजी को अपने शिष्यों में बांटने को सदैव तैयार रहता है।और कठोर परिश्रम करवाके शिष्यों को केवल सही भाग या हिस्से को ध्यान में रखने को कहता है।शिष्यों के लापरवाही पर भी शिक्षक उन्हें उचित दंड देकर सिख ही देते हैं।जिससे आखिरकार वो जीवनपथ पर चलना सिख ही जाते हैं।
मित्र, सखा ,दोस्त जो भी कहें बिना यार के कोई जीवन जीवन बन ही नहीं पाता। जीवन वास्तव में असीमित मानवीय सम्बन्धों के रूप में फैला हुआ एक विस्तृत जाल है,जो दोस्ती के रूप में समुचे विश्व मे व्याप्त है।दोस्त वास्तव में बचपन से जवानी तक हर तरह के पलों में साथ देते हैं।ये एक सहारे की तरह होते हैं जो खराब समय में किसी सहारे की तरह मदद करते हैं।जिसे मानव फिर से पकड़ कर जीवन पथ पर आगे बढ़ सके।
वर्तमान जीवन तरह-तरह की समस्याओं से भरा पड़ा है।फिर कुछ ऐसे दोस्त भी होते हैं ,जो इनका हल भी निकाल ही लेते हैं।
★निष्क्रिय सहायक- शुभचिंतक
शुभचिंतकों की गिनती इस पथ पर उतनी ज्यादा खास नहीं मानी जाती किन्तु सर्वाधिक गुणवत्ता लिए ये जीवन पथ पर मानवों की मदद तो जरूर करती है।परंतु ये कोई ठोस एवम विश्वासपात्र विकल्प नहीं माना जाता है।इसलिए इसमें जीवन पथ की यात्रा हेतु बहुत कम ही सुझाव दिए जाते हैं।यह जीवन मूल्यों की अपेक्षा लाभ और हानि की संभावना लिए हुए ज्यादा प्रतीत होता है।
★दिव्य छटा-बुजुर्गों की सिख
दादा-दादी,नाना-नानी की कहानियों कक सीधा उद्देश्य बालमन को सही और गलत की स्थिति का बोध कराना मात्र है।जिससे वो कहानियों के माध्यम से समझाते हैं।
जैसे-बुरे काम का बुरा नतीज़ा।
जिससे बच्चों में उपलब्ध सही और गलत को देखकर उसके निश्चित परिणाम पता लगाने में आसानी होती है।जो आगे चलकर जीवन पथ के लिए हितकर होता है।
जीवन पथ की स्थिति का ज्ञान-
कई दफा मानव मस्तिष्क जीवन पथ की स्थिति को भी भ्रमित कर देता है,जिससे मानव अपने पथ से भटक कर दूसरे रास्तों में भटकने लगते हैं।जीवन पथ से भटक जाने की स्थिति को हम अनजान रेगिस्तान में फंसे मुसाफ़िर के रास्ता ढूंढने की कोशिश से लगा सकते हैं,या फिर किसी भूल-भुलैया के किसी हिस्से में फंसे मजबुर इंसान की स्थिति को देखकर भी समझ सकते हैं।
जीवन पथ से भटकने कई कारण हो सकते हैं ,जैसे-वांछित व्यक्ति चीज या वस्तु न मिलने पर, पछतावे की आग में स्वयं को शराब और अन्य नशे की लत में डूबा लेना,गन्दे आदतों और कामों में लिप्त हो जाना।
जीवन पथ पर वापसी -
मानव मन अत्यंत चंचल होता है,गलत आदतों और चीजों का इसे तीव्र लालच होता है,जिससे जीवन पथ में अवरोध उतपन्न होने लगता है ।धीरे-धीरे मानव कमजोरी और आलस से ग्रस्त हो जाता है और शरीर को बीमारियों का केन्द्र बना लेता है।
अतः जीवन पथ पर लौटने के सुझाव भी हैं-
★मन को स्थिर करने की कोशिश-
●मन की स्थिति को समझने और नियंत्रण करने हेतु हमें अपने मन को एक विशेष दायित्व या पद देना होगा।जिसे हमें अपने मन को पहले मनाना होगा।
●मन के विचारों की सार्थकता एवम सकारात्मकता समझ कर।
●मस्तिष्क में कम दबाव के साथ,धीरे-धीरे चीजों को स्मरण करने के गुणों का विकास करना।
●चिंतित होने पर नशे या,एंटीडिप्रेशन पिल्स का सहारा न लेना।
●मन को शांत और प्रभावी बनाने के लिए मन रूपी दिव्य पुंज में शांति की स्थापना हेतु नियमित ध्यान की निरंतरता बनाए रखना।
●प्रकृति को स्वयं के भीतर महसूस करने की कला विकसित करें।
●ऐसे सकारात्मक कार्य करें जिससे आपको खुशी मिले।
●नशे और बुरी आदतों को त्याग कर स्वयं को किसी प्रतियोगिता में बांध लें।
●"मन को तभी जीता जा सकता है,जब आप मन में जीतते हैं।"
●अपनी सोच का दायरा धीरे-धीरे विस्तृत करें और मानसिक स्मरण शक्ति का अवलोकन करते रहें।
जीवन पथ की बाधाओं से बचने के सुझाव-
जीवन पथ की बाधाएं तो जीवन की गति को धीमा करती हैं।साथ ही साथ हमें इससे बचने के उपाय भी सोंचते रहना चाहिए।
◆जो बीत गया उसे भूल जाना चाहिए।
◆अगर गलती हुई हो तो उसकी माफ़ी मांग लेना चाहिए।
◆लोगों को क्षमा करना सीखना चाहिए।
◆असफलता मिलने पर नए विकल्प जरूर तलाशना चाहिए।
◆उम्मीद हमेंशा रखनी चाहिए।
◆जो काम आपको प्रमुख रूप से सम्पन्न करना है,उसके बारे में ज्यादा सोंचना नहीं चाहिए,बस कार्य शुरू करने के पहले अपने मन में स्मरण कर लेना चाहिए।
~~अगले अंक में~~
°जीवन पथ की सृजनात्मक प्रवृत्ति°
■रचनात्मक विचारों का जन्म कैसे हो
■नविनतम विचारों को कैसे उत्कृष्ट बनाएं
■वैचारिक दुनिया की उतपत्ति कैसे करें
■सपनों से मन्ज़िल की दूरी कैसे तय करें
~~जीवन पथ के रहस्य~~