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कैसे भुला दूं उस धरा को जहाँ भीषण रक्त बहा हो,
क्या शत्रु क्या मित्र समझ कर जहाँ विश्वाश जला हो,
विराट समय की अविरल धारा में जिसने ये सब झेला हो,
आखिर क्यों कह दूं कि मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता।
सत्य हमेंशा एक होता है,और असत्य अनेक,
जिसे कह ना सकें ऐसे दर्द भी देखे हैं,
उन लम्हों को भी जिया है जहां सिर्फ असत्य होते थे।
जमाना जिसकी हरकतों पर कायल था,
हम बहुत पहले ही उनको दफ़ा कर चुके थे,
बेवफा तो वो थी जिससे हम वफ़ा कर बैठे थे,
हर्फ़ हर्फ़ लफ़्ज़ों की हकीकत सामने आई,
ज़िन्दगी भी वही किस्मत तलाशना शुरू कर देती है,
जिसमें वो तो नहीं होती थी मगर उसकी यादें होती थी,
एक जंग सी ज़िन्दगी के लिए कौन ख्वाइश करता है भला,
लेकिन ये तो शायद लिखा ही होता है कहीं जो होना होता है,
कई दफ़ा हमारे अल्फ़ाज़ हमारे दरारों को भरते हैं,
लेकिन किसी रोज ये जहर सी ज़ख्मों पर नमक भी मल जाते हैं,
बेइंतहां प्यार भी पता नहीं कहाँ दुबक के चल देता है,
और मायूसी के मायने पीछे छोड़ जाता है जिसे लोग देखते हैं,
आखिर क्यों दर्द का असर और इलाज दोनों एक ही होता है,
शायद हमारे ज़ज़्बातों की तबियत सही नहीं हो पायी,
या प्यार बाँटने को समय कम पड़ गया या फिर कुछ और,
शायद हम अब भी एक दूसरे को वैसे ही देखते हैं जैसे कि पहले,
There's always a extraordinary thing for everyone.but the thing is that you have to be afford that affluent.
Don't stop thinking because this universe has infinite space.Who knows what can your thoughts get define.So keep thinking about everything.
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