कैसे भुला दूं उस धरा को जहाँ भीषण रक्त बहा हो,
क्या शत्रु क्या मित्र समझ कर जहाँ विश्वाश जला हो,
विराट समय की अविरल धारा में जिसने ये सब झेला हो,
आखिर क्यों कह दूं कि मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता।
सत्य हमेंशा एक होता है,और असत्य अनेक,
जिसे कह ना सकें ऐसे दर्द भी देखे हैं,
उन लम्हों को भी जिया है जहां सिर्फ असत्य होते थे।
Wednesday, 19 September 2018
The Only Truth
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