(पोस्टर में उक्त तस्वीर स्वयं अनुराग यादव द्वारा खींची गई है,अगर आप रायगढ़ से हैं तो इस जगह को जरूर पहचानें।)
बेनाम रास्ते
भाग-1
पूरी इंसानी फितरत ही कुछ ऐसी की ,जहां कहीं बेचैनी होती है।कुछ कदम थिरका लेते हैं,कुछ लोग होते हैं जो इन रास्तों को समझ लेते हैं और उनपर बखूबी चलते जाते हैं।तो कुछ ऐसे भी होते हैं जिन्हें किसी सहारे की जरूरत होती है,ताकि वे उन सहारों पर भरोसा करके सावधानी से अपने कदम आगे बढ़ा सकें।
किंतु दैनिक गतिविधि पुरातन काल की अपेक्षा बहुत अधिक गतिशील हो गई है।और इस दौड़-भाग भरी जिंदगी में सारी चीजें या तो अपना रूप बदल लें रहीं है।या तो उनकी जगह कोई चीज ले रही है।
इंटरनेट के वर्ल्ड वाइड वेब का जाल अब समूचे विश्व को खुद में लपेट चुका है।आधी दुनिया अब इंटरनेट में जुड़ चुकी है।अब इतनी सुविधा होने कारण उन रास्तों पर शायद बहुत लोग ही रुक कर कुछ बातचीत कर पाते हैं।वरना दफ़्तर वाले तो बेहद व्यस्त माहौल के लिए होते हैं।
आप लोग सोच रहे होंगे इतनी सारी चीजें बोलने का मकसद क्या है?,
तो मैं आपको बता दूं कि जबसे इंसान ने जन्म लिया है।तब से उसने हर रास्ते को देखा है।लेकिन अच्छी सीख वाले रास्ते ज़िन्दगी भर उसका मार्गदर्शन करती हैं।और गलत वाली सीख उसे नर्क के दलदल में धकेल देती है।
अगर आप ज़िन्दगी में भ्रम दिखाई पड़े तो किसी ऐसे सहारे को ढूंढिए जो आपको कम से कम सच से वाकिफ़ करा सके।
"कुछ इन रास्तों के नाम पर ज्यादा कुछ तो नहीं कहते किन्तु ,एक बात तो जरूर कह देते हैं की निश्चित संकल्प से उचित रास्ते के चुनाव की संभावना ज्यादा रहती है।"
लेकिन अच्छा यही होगा कि आप ऐसे बेनाम रास्तों पर अधिक से अधिक चल चुके हों क्योंकि आपके पर्याप्त अनुभव आने वाली पीढ़ियों के लिए एक आदर्श मार्ग प्रसस्त करेंगे।
अगर आप इन बेनाम रास्तों के बारे में और कुछ जानना चाहते हैं तो कमेंट करें।।।।
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