कुछ मुरझाए गुलाब की पंखुड़ियों की ही तरह,
कुछ अजीब सी लगने लगी है जिंदगी,
अब इन मुलायम पंखुड़ियों की कोई जगह नहीं,
ज़िन्दगी और भी बहुत कुछ है इसके बग़ैर....
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