Saturday, 20 October 2018

Darmiyaan

हमारे फासलों के दरमियां जो भी कुछ था,
बेहद हसिन और रंगीन था,
क्या किस्मत जो हसिन सपने दिखाती थी,
दिल भी ऐसा की सभी चीज मान लेता था।

Friday, 12 October 2018

प्यार

जैसे कोई सपना हो,
जिसमें हमेंशा कोई अपना हो,
चाहत तो बेइंतहा है प्यार पे,
पर ये न मिल पाने का गम भी है,

शायद कहीं और से लिखा गया है,
तक़दीर हमारी वरना शब्द तो क़ाबिल होते,

हल्की सांसें

हल्की सांसे जो तुझसे मिली हैं,
जिसे तुम समझ पाओ,....
ये जो तेरे दिल की गली है,...
उसमें तुम मुझे पाओ।

आ जाना ओ मेरी जाना,
मुझे तुझको ही है पाना,
चाहे हो जो या देखे ज़माना,
तुझे मुझ संग ही है आना,

फिर हो जो भी तू तो है मेरी,
अब तुझसे क्या है छिपाना,
जो भी है भरपूर है,
तुझे दिल का हिस्सा है दिखाना,

ओ मेरी जाना,
तुझको है बताना,
मैं हूँ तेरा ही दीवाना,
यूँ  जो तुझसे मिल हूं,

तेरी ही यादें

तेरे चेहरे की हल्की सी मुस्कुराहट ,
न जाने कितनी देती है,खुशी,
वो समय सच में बेहद हसीन होते हैं,
जिनमें अक्सर तुम होती हो,

जी तो करता है कि नाम ही देदूँ,
इस मोहब्बत को जिससे तुझमें शाम रहूं,
क्या खूब फरमाया किसी ने कह कर यूँ,
इश्क है तुमसे बस इतना समझ लो,

बेहद मिन्नतों के बाद मक़बूल हुई है,
वरना दुआएं तो रोज ही मांगा करते थे,
तुम जो मिले जैसे चाँद उतर आया ज़मीन पर,
खूब खुदा की रहमतें जो तुझ संग नैन मिले,

ज़ुल्फ़ों की घनी शाम तुझ से ही,
मेरी हर सुबह और रात तुझ से ही,
तुझ ही से है,प्यार,इश्क़ और मोहब्बत,
वरना बस ये रह जाती एक इबादत,

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मलीहा मुसाफ़िर एपिसोड -१  जीवन काल के सीमित चक्र में मानव बाल्यकाल से लेकर अपने अंतिम क्षणों तक कुछ न कुछ सीखता ही रहता है,और खुद को हर तरह क...